जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
अभी एक बोर्ड पर लिखा हुआ देखा...
तमाम उम्र अंधेरों ने मुझे अपनी जद में रखा,
जबसे तू गइलू नइहरवा (चइता)
#प्रियवर खोये हो कहाँ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
अंदाज़े शायरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*डॉक्टर चंद्रप्रकाश सक्सेना कुमुद जी*