Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Sep 2024 · 1 min read

****स्वप्न सुनहरे****

नटखट चंचलता मनस उतरी
उजास विहीन भोर ठहरी
लाली नभ में गहन बिखरी
जलती तपती इक दुपहरी

अक्षि दिखती झील सी गहरी
कुछ क्षण न ठहरी विभावरी
सितारा न कोई नभ में सजा
कोमल हिय तो पाषाण बना

इंद्रायुध सजता है सतरंगी
खिलते तब सुमन रंग बिरंगी
जगमग जगमग दीप्त सितारे
परे हो तब नयनों से सारे

अंतस्थल उठे इक पिपासा
पनपती हिय में जिजीविषा
कभी उन्मुक्त श्वास पर पहरे
कहीं उपालंभ उपजे गहरे

नज़रों से दूर माया नगरी
ओस की बूंदें धरा पे बिखरी
दिव्य मोती चुनती वसुधा
हाय निसदिन ये कैसी दुविधा

तीव्र उसासों से भरी ध्वनि
शुष्क बनके तरसे अवनी
प्यासे लब अमी को तरसे
पयोद एक बूंद भी न बरसे

दूर दिखता एक ही सितारा
कौन सा यह नगर हमारा
कहीं तो मधुकामिनी महकती
सिहरन सुख की दिखलाती

स्वर्णिम उज्जवल सुंदर जहाँ
जगमग ज्योत्सना मिली कहाँ
रुचिर नयन स्वप्निल सुनहरे
रह जाते कुछ स्वप्न अधूरे।।

✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक
इंदौर(म.प्र)

1 Like · 138 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

गणतंत्रता दिवस
गणतंत्रता दिवस
Surya Barman
कलम की दुनिया
कलम की दुनिया
Dr. Vaishali Verma
भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“
भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“
कवि रमेशराज
प्रेम
प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हिन्दी दोहा-पत्नी
हिन्दी दोहा-पत्नी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तुझ से मोहब्बत से जरा पहले
तुझ से मोहब्बत से जरा पहले
इशरत हिदायत ख़ान
अपराह्न का अंशुमान
अपराह्न का अंशुमान
Satish Srijan
"किताबें"
Dr. Kishan tandon kranti
कविता
कविता
Sumangal Singh Sikarwar
प्रकृति को जो समझे अपना
प्रकृति को जो समझे अपना
Buddha Prakash
🙅बेमेल जोड़ी🙅
🙅बेमेल जोड़ी🙅
*प्रणय प्रभात*
सफ़र करते करते , मिली है ये मंज़िल
सफ़र करते करते , मिली है ये मंज़िल
Neelofar Khan
जैसे आप अपने मोबाइल फ़ोन में अनुपयोगी सामग्रियों को समय-समय
जैसे आप अपने मोबाइल फ़ोन में अनुपयोगी सामग्रियों को समय-समय
Anand Kumar
कई बार अंधकार इतना गहरा होता है कि खुद जुगनू बनना तो दूर कही
कई बार अंधकार इतना गहरा होता है कि खुद जुगनू बनना तो दूर कही
SATPAL CHAUHAN
क्यू ना वो खुदकी सुने?
क्यू ना वो खुदकी सुने?
Kanchan Alok Malu
जिंदगी भर किया इंतजार
जिंदगी भर किया इंतजार
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
जमाने में
जमाने में
manjula chauhan
मैं गुल गुलशन बहार ले आया हूँ
मैं गुल गुलशन बहार ले आया हूँ
VINOD CHAUHAN
हर पल
हर पल
Davina Amar Thakral
नारी
नारी
Arvina
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
Rj Anand Prajapati
प्यारी सी बेटी
प्यारी सी बेटी
विक्रम सिंह
दोस्तों, ख़ुशियाँ बाँटते चलो.
दोस्तों, ख़ुशियाँ बाँटते चलो.
Piyush Goel
मुंडेरों पर नैन की,
मुंडेरों पर नैन की,
sushil sarna
गिरमिटिया मजदूर
गिरमिटिया मजदूर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बुझे अलाव की
बुझे अलाव की
Atul "Krishn"
If.. I Will Become Careless,
If.. I Will Become Careless,
Ravi Betulwala
चलो इश्क़ जो हो गया है मुझे,
चलो इश्क़ जो हो गया है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जय श्री राम
जय श्री राम
Sunita Gupta
Loading...