Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jan 2024 · 1 min read

गणतंत्रता दिवस

केसरिया हम कहां से लइयै
वीर बचल हे कन्ने अपने
कायरता आउ दब्बूपन में
अखने हम सब की हरसइयै
कइसे गणतंत्रता दिवस मनइयै

सच तऽ अब बदले हे
झूठ फरेब हय उधम मचइले
सच बोलऽ हय त मारल जा हे
उज्जर रंग हम कन्ने से लइयै
कइसे गणतंत्रता दिवस मनइयै

हरियाली हलइ धरती के लहंगा
अब खेत में हे महल अटहंगा
दाना पानी भेलय महंगा
ई महंगाई में कि हरसइयै
कइसे गणतंत्रता दिवस मनइयै

चक्र विनाश के उल्टा है अब
रक्षक अखने भक्षक बनल हे
प्रतिपालक हखिन उधम मचइले
फेर चक्र अखने हम केकरा लइयै
कइसे गणतंत्रता दिवस मनइयै

शान हलइ गांधी के खादी
उ भी हो गेलइ अखने वादी
सत्य अहिंसा असूया सब छोड़
कइसे झूठा वाना बनिये
कइसे गणतंत्रता दिवस मनइयै

189 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

ये राष्ट्रभक्ति का उपहार प्रिये
ये राष्ट्रभक्ति का उपहार प्रिये
Acharya Shilak Ram
प्यार है नही
प्यार है नही
SHAMA PARVEEN
मां
मां
Phool gufran
इम्तिहान
इम्तिहान
Mukund Patil
🙅लानत है🙅
🙅लानत है🙅
*प्रणय प्रभात*
दो कदम
दो कदम
Dr fauzia Naseem shad
राम सीता
राम सीता
Shashi Mahajan
हँसी में उड़ा दिए हमने कई ग़म के दिन।
हँसी में उड़ा दिए हमने कई ग़म के दिन।
Madhu Gupta "अपराजिता"
लहसुन
लहसुन
आकाश महेशपुरी
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
पंकज परिंदा
चन्द पैसे के पीछे भागा नहीं कर
चन्द पैसे के पीछे भागा नहीं कर
नूरफातिमा खातून नूरी
वो पगली
वो पगली
Kshma Urmila
I read a book that said:
I read a book that said:
पूर्वार्थ
पर्यावरण
पर्यावरण
Rambali Mishra
किसान
किसान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
4205💐 *पूर्णिका* 💐
4205💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अजनबी की तरह साथ चलते हैं
अजनबी की तरह साथ चलते हैं
Jyoti Roshni
मोहन सी प्रीति
मोहन सी प्रीति
Pratibha Pandey
गाय हमारी माता है
गाय हमारी माता है
Dr Archana Gupta
" जिन्दगी की गलियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सनातन के महापर्व महाकुंभ का संरेखण विशेष रूप से शुभ माना जात
सनातन के महापर्व महाकुंभ का संरेखण विशेष रूप से शुभ माना जात
ललकार भारद्वाज
विषय-माँ।
विषय-माँ।
Priya princess panwar
प्रेम कविता
प्रेम कविता
अंकित आजाद गुप्ता
जीवन की आपा धापी में
जीवन की आपा धापी में
Shweta Soni
खिड़कियों से निकलता धुआं,
खिड़कियों से निकलता धुआं,
दीपक बवेजा सरल
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
Rj Anand Prajapati
गरीबी मैं खानदानी हूँ
गरीबी मैं खानदानी हूँ
Neeraj Mishra " नीर "
महारुद्र प्रकट हुए, बनकर श्री हनुमान
महारुद्र प्रकट हुए, बनकर श्री हनुमान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*
*"माँ कात्यायनी'*
Shashi kala vyas
Loading...