Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2025 · 1 min read

मैं गुल गुलशन बहार ले आया हूँ

मैं गुल गुलशन बहार ले आया हूँ
तुम्हारे लिए प्रेम का उपहार ले आया हूँ
बहुत मुद्दत से चाहत थी इज़हार-ए-मोहब्बत की
लो अपनी मोहब्बत को खुले बाजार ले आया हूँ

1 Like · 68 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from VINOD CHAUHAN
View all

You may also like these posts

"नजारा"
Dr. Kishan tandon kranti
आई सावण तीज
आई सावण तीज
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
जीवन
जीवन
Santosh Shrivastava
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*Rising Sun*
*Rising Sun*
Veneeta Narula
मां की दुआओं का असर
मां की दुआओं का असर
डॉ. एकान्त नेगी
बाप की गरीब हर लड़की झेल लेती है लेकिन
बाप की गरीब हर लड़की झेल लेती है लेकिन
शेखर सिंह
" दोहरा चरित्र "
DrLakshman Jha Parimal
हर इंसान के काम का तरीका अलग ही होता है,
हर इंसान के काम का तरीका अलग ही होता है,
Ajit Kumar "Karn"
भाई दूज पर मुक्तक
भाई दूज पर मुक्तक
Dr Archana Gupta
*होठ  नहीं  नशीले जाम है*
*होठ नहीं नशीले जाम है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
स्वार्थी आदमी
स्वार्थी आदमी
अनिल "आदर्श"
ट्रेन का सफर: उम्मीदों और इरादों की उलझी गुत्थी
ट्रेन का सफर: उम्मीदों और इरादों की उलझी गुत्थी
Ami
- रुसवाई -
- रुसवाई -
bharat gehlot
अज़िय्यत-ए-इंतहा में शायद कोई मुस्कुराता नहीं,
अज़िय्यत-ए-इंतहा में शायद कोई मुस्कुराता नहीं,
Shikha Mishra
अपनी हीं क़ैद में हूँ
अपनी हीं क़ैद में हूँ
Shweta Soni
कविता-
कविता- "हम न तो कभी हमसफ़र थे"
Dr Tabassum Jahan
उनकी तस्वीर
उनकी तस्वीर
Madhuyanka Raj
धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
sushil sarna
एक लड़की की कहानी (पार्ट2)
एक लड़की की कहानी (पार्ट2)
MEENU SHARMA
आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
किसी भी दीद
किसी भी दीद
Dr fauzia Naseem shad
World Hypertension Day
World Hypertension Day
Tushar Jagawat
Snap chat वाली दोस्त
Snap chat वाली दोस्त
Sonu sugandh
#सामयिक_रचना
#सामयिक_रचना
*प्रणय प्रभात*
राम
राम
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हम हंसना भूल गए हैं (कविता)
हम हंसना भूल गए हैं (कविता)
Indu Singh
मासी की बेटियां
मासी की बेटियां
Adha Deshwal
हमारे धर्म ध्वज के वाहक !
हमारे धर्म ध्वज के वाहक !
Jaikrishan Uniyal
धैर्य बनाये रखे शुरुआत में हर कार्य कठिन होता हैं पीरी धीरे-
धैर्य बनाये रखे शुरुआत में हर कार्य कठिन होता हैं पीरी धीरे-
Raju Gajbhiye
Loading...