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19 Sep 2024 · 1 min read

बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,

बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
किसी की टिप्पणी का इंतज़ार नहीं करता हूॅं!
आत्मावलोकन कर खुद को संतुष्ट करता हूॅं,
टिप्पणियाॅं आतीं तो सोने पे सुहागा मानता हूॅं!
वैसे कुछ साथियों का शुक्रिया अदा करता हूॅं,
जिनसे निरंतर ही प्रेरणा प्राप्त कर लेता हूॅं…
उतना तो मैं उनके लिए भी नहीं कर पाता हूॅं,
जितना उनसे सस्नेह आदर व सम्मान पाता हूॅं।
…. अजित कर्ण ✍️

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