हे राम जी! मेरी पुकार सुनो
वीर गाथा - डी के निवातिया
बस इतना ही फर्क रहा लड़के और लड़कियों में, कि लड़कों ने अपनी
ग़ज़ल __बुलबुलें खुश बहार आने से ।
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
दिल में उत्तेजना और उम्मीदें ज़र्द हैं
sp41 किस्मत का हो गया /अजब खेल है
सुनो, मैं सपने देख रहा हूँ
सजग निगाहें रखा करो तुम बवाल होंगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)