एक स्त्री का प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
कविता जीवन का उत्सव है
Anamika Tiwari 'annpurna '
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
हांथ जोड़ते-पैर पड़ते हैं, हर खता के बाद वो।
न रोको तुम किसी को भी....
उन बादलों पर पांव पसार रहे हैं नन्हे से क़दम,
खट्टे मीठे पल जिन्दगी के,।
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी.......
प्रकृति संरक्षण (मनहरण घनाक्षरी)
*बचपन की बातें छूट गईं, फिर राधा से प्रभु कहॉं मिले (राधेश्य
श्राद्ध पक्ष में सनातन संस्कृति का महत्व
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
ये नसीबा खेल करता जिंदगी मझधार है ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)