23/21.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
बेटियों को रोकिए मत बा-खुदा ,
" गप्प लिय मोदी सं आ टाका लिय बाइडन सं "
आज के युग का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है
रस्म उल्फत की यह एक गुनाह में हर बार करु।
चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं उन सारी जगहों पर जहाँ बोलना जरूरी
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
मज़दूर कर रहे काम, कोयलों की खानों में,
राम रटलै
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
उत्तर बिहार अर्थात मिथिला राज्य।
कुछ तो सोचा होगा ख़ुदा ने
आशीष के दीप है जलाती, दुखों के तम से बचाती है माँ।