आपकी मुस्कान
आपकी मुस्कान मधुबन की खुशबू,
सुरभित पवन-सी बहती रहे।
श्याम घटाओं में चंद्रिका जैसी,
मन में मधुरिमा गढ़ती रहे।
जब अधरों पर कुसुम खिल उठें,
मदन स्वयं मोहित हो जाए।
नयनों में प्रेम के दीप जले,
संसार नवसृष्टि पा जाए।
वो अधरों की मृदु लहरियाँ,
वीणा के तार छेड़ जाएं।
हर शब्द गूँज उठे प्रेम में,
हर मन अनुराग में खो जाए।
कभी कदंब तले मंद चपल,
कभी झूले संग इठलाए।
सांवली सांझ के आँचल में,
चंद्र किरण-सी लहराए।
कान्हा भी वंशी छोड़ चले,
जब यह अदा मुस्कुराए।
ब्रह्मांड की हर राधा तब,
संग अनुराग में बह जाए।