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15 Dec 2024 · 1 min read

अतीत

अतीत

अंधेरे दीवारें के, बुनते हुए जालों सा
जीवन मेरा चुभता रहता, पैर में पड़े छालों सा ।।
कश्ती अक्सर सहती गिरती , किनारों के झोंकों से
मन का दरिया बहता पड़ता, दुःख के चंद हिचकोले से।।

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