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26 Aug 2024 · 1 min read

शिवहर

शिवहरक धरती, पावन आ सुन्नर,
जतह लोकमे, सजल प्रेम सुन्नर।
खेत-खलिहान, हरियर माटि,
गाम लोग, बनल रसिक गाथा।

गोरियाक साड़ी, आँगन में,
गीत गा देलहुँ , सुख रंगरा मे
रातिक चान,दिनमे उगैत सुरज,
हर क्षण शिवहरक छवि नारि ,

फगुआमे होरी, सभ दिन दिवाली
हर पावनि गुंजायमान, शिवहर बोलू ।
मधुर बाजू, अहिक दिल से दिल भेटे,
शिवहर जेकर ओकर सभ दिल बसे ।

शिवहरक माटि, मधुर पुरान गीत,
संस्कृति के संजोए, सँजल अभिमान ।
जखन कखनो सुनैत त हृदय छूबैत अछि,
शिवहर हमर,सदैव अमर रहे।

श्रीहर्ष

Language: Maithili
83 Views

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