चलो जिंदगी का कारवां ले चलें
कोई काम जब मैं ऐसा करता हूं,
मोबाइल पर बच्चों की निर्भरता:दोषी कौन
जब -जब होता रोग यह , सर्वाइकल हर बार|
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मिली नही विश्वास की, उन्हें अगर जो खाद
शब्द ढ़ाई अक्षर के होते हैं
दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मेरे हाल पर मुस्कुराने से पहले
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक