Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Sep 2022 · 1 min read

*मोदी (कुंडलिया)*

मोदी (कुंडलिया)
_______________________________
मोदी भारत को मिले ,दी भारत को शान
एक सूत्र में गुँथ गया ,अपना हिंदुस्तान
अपना हिंदुस्तान ,स्वच्छता आदत भर दी
काशमीर की दूर ,समस्या जड़ से कर दी
कहते रवि कविराय ,धन्य वह माँ की गोदी
वंदन हीराबेन , तुम्हारा हीरा मोदी
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

297 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

गीत- मिले हैं चार दिन जीवन के...
गीत- मिले हैं चार दिन जीवन के...
आर.एस. 'प्रीतम'
Love Is The Reason Behind.
Love Is The Reason Behind.
Manisha Manjari
‘ विरोधरस ‘---7. || विरोधरस के अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---7. || विरोधरस के अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
कदम बढ़ाओ साथ खड़े हैं,कहने वाले मुंह फेरे खड़े हैं।
कदम बढ़ाओ साथ खड़े हैं,कहने वाले मुंह फेरे खड़े हैं।
Madhu Gupta "अपराजिता"
तुम क्या आए
तुम क्या आए
Jyoti Roshni
शरीर को जिसने प्राण दिए बस उसी की जय कीजिए
शरीर को जिसने प्राण दिए बस उसी की जय कीजिए
Hafiz Shanuddin
गीत
गीत
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
सूखते ही ख़्याल की डाली ,
सूखते ही ख़्याल की डाली ,
Dr fauzia Naseem shad
"आओ बचाएँ जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
तुमने अखबारों में पढ़ी है बेरोज़गारी को
तुमने अखबारों में पढ़ी है बेरोज़गारी को
Keshav kishor Kumar
समय की कविता
समय की कविता
Vansh Agarwal
संतान
संतान
manorath maharaj
??????...
??????...
शेखर सिंह
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
Manju sagar
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
“दर्द से दिल्लगी”
“दर्द से दिल्लगी”
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
𑒢𑒯𑒱𑓀 𑒁𑒢𑒳𑒩𑒰𑒑 𑒏𑒱𑒢𑒏𑒼 𑒕𑒻𑒢𑓂𑒯𑒱 𑒋𑒞𑒨,
𑒢𑒯𑒱𑓀 𑒁𑒢𑒳𑒩𑒰𑒑 𑒏𑒱𑒢𑒏𑒼 𑒕𑒻𑒢𑓂𑒯𑒱 𑒋𑒞𑒨,
DrLakshman Jha Parimal
Agar tum Ladka hoti to Khush Rah paati kya?....
Agar tum Ladka hoti to Khush Rah paati kya?....
HEBA
-Relationships require effort.
-Relationships require effort.
पूर्वार्थ
3227.*पूर्णिका*
3227.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कभी कभी हसीं आती हैं हम को ही हमारी लिखावट पे
कभी कभी हसीं आती हैं हम को ही हमारी लिखावट पे
Shinde Poonam
मुझे बिखरने मत देना
मुझे बिखरने मत देना
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सूनी आंखों से भी सपने तो देख लेता है।
सूनी आंखों से भी सपने तो देख लेता है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ऑंसू छुपा के पर्स में, भरती हैं पत्नियॉं
ऑंसू छुपा के पर्स में, भरती हैं पत्नियॉं
Ravi Prakash
कविता
कविता
Nmita Sharma
जाना है
जाना है
Dr.Pratibha Prakash
मोहब्बत जो हमसे करेगा
मोहब्बत जो हमसे करेगा
gurudeenverma198
#दोहे (व्यंग्य वाण)
#दोहे (व्यंग्य वाण)
Rajesh Kumar Kaurav
यादों के बादल
यादों के बादल
हिमांशु Kulshrestha
पड़ताल
पड़ताल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
Loading...