Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Aug 2024 · 2 min read

स्त्री।

नहीं………………..।

ईश्वर की सभा में एक महीन पतली आवाज बहुत ही तेज सुर में गूंजी। इतनी तेज कि वहां उपस्थित सभी देवगणों को अपने कान पर हाथ रखना पड़ा।

किंतु वह आवाज़ उनकी हथेलियों के ढाल को भेदती हुई उनके कानों से होती हुई उनके ह्रदय की सुदूरतम गहराइयों तक पहुंची और जैसे कांच के सतह पर लोहे की कील को रगड़ा जाए उस असहनीय और कर्कश स्वर की तरह बड़ी देर तक उन्हे परेशान करती रही। जब सभी देवता गण उस यातना दायक स्थिति से उबरे तब सबने प्रश्न वाचक दृष्टि से उस स्वर की स्वामिनी की ओर देखने लगे।

एक देवता – तुम्हारा चौरासी लाख योनियों का भ्रमण समाप्त हो चुका है। अब तुम्हे पुनः मानव बनने का अवसर प्राप्त हो रहा है। इस तथ्य के प्रकाश में तो तुमको दमकना चाहिए किंतु तुम इतनी कातर आवाज़ में इस अवसर को नकार रही हो। क्या कारण है ?

स्वर स्वामिनी – भगवान आप मुझे वापस कीड़ों , मकोड़ों , मछली , केकड़ा, जानवर इत्यादि चौरासी लाख योनियों में पुनः भेज दें किंतु मैं स्त्री शरीर लेकर वापस मृत्यु लोक में नहीं जाऊंगी।

दूसरा देवता – किंतु क्यों ?
स्वर स्वामिनी – आपका बनाया गया संसार अब स्त्रियों के रहने लायक नहीं रह गया है। वहां उन्हें मानव समझा ही नहीं जाता। वे बस मांस के कुछ खास आनंद दायक टुकड़े के रूप में देखी जाती हैं। देवियों की पूजा अर्चना , कन्याओं का पूजन सब नाटक मात्र है। आप संसार से इतने दूर और ऊंचे स्थान पर बैठे हैं , जहां से न आप हमारी स्थिति देख पाते हैं और न हमारी चीख पुकार , हमारी याचना आप तक पहुंच पाती है। मुझे मानवी बनाने के स्थान पर कोई भूनगा , चिड़िया या कीड़ा बना दीजिए। यह आपसे मेरी करुण प्रार्थना है।

पूरी सभा स्तब्ध रह गई । कोई कुछ नहीं बोला।
Kumar Kalhans

Language: Hindi
63 Views
Books from Kumar Kalhans
View all

You may also like these posts

आजकल लोग बहुत निष्ठुर हो गए हैं,
आजकल लोग बहुत निष्ठुर हो गए हैं,
ओनिका सेतिया 'अनु '
World Emoji Day
World Emoji Day
Tushar Jagawat
मेरी जो बात उस पर बड़ी नागवार गुज़री होगी,
मेरी जो बात उस पर बड़ी नागवार गुज़री होगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पैसा
पैसा
Mansi Kadam
गीत के मीत
गीत के मीत
Kanchan verma
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
Kanchan Khanna
कर्म हमारे ऐसे हो
कर्म हमारे ऐसे हो
Sonam Puneet Dubey
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
*हॅंसते बीता बचपन यौवन, वृद्ध-आयु दुखदाई (गीत)*
*हॅंसते बीता बचपन यौवन, वृद्ध-आयु दुखदाई (गीत)*
Ravi Prakash
कवि मन
कवि मन
Rajesh Kumar Kaurav
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कर्म-बीज
कर्म-बीज
Ramswaroop Dinkar
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर
सत्य कुमार प्रेमी
खुश रहने की कोशिश में
खुश रहने की कोशिश में
Surinder blackpen
प्रकृति कि  प्रक्रिया
प्रकृति कि प्रक्रिया
Rituraj shivem verma
लड़की होना ही गुनाह है।
लड़की होना ही गुनाह है।
Dr.sima
जो नभ को कण समझता है,
जो नभ को कण समझता है,
Bindesh kumar jha
कितनी लाज़वाब थी प्रस्तुति तेरी...
कितनी लाज़वाब थी प्रस्तुति तेरी...
Ajit Kumar "Karn"
फिल्मी गानों से छंद
फिल्मी गानों से छंद
आचार्य ओम नीरव
बेवजह ख़्वाहिशों की इत्तिला मे गुज़र जाएगी,
बेवजह ख़्वाहिशों की इत्तिला मे गुज़र जाएगी,
शेखर सिंह
3045.*पूर्णिका*
3045.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोस्ती : कल और आज
दोस्ती : कल और आज
Shriyansh Gupta
Raising a child
Raising a child
Shashi Mahajan
"तोता"
Dr. Kishan tandon kranti
श्री कृष्ण जन्म कथा
श्री कृष्ण जन्म कथा
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
टीस
टीस
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
रिश्तों का आईना
रिश्तों का आईना
पूर्वार्थ
कागज ए ज़िंदगी............एक सोच
कागज ए ज़िंदगी............एक सोच
Neeraj Agarwal
मां
मां
Sanjay ' शून्य'
मेरी लिखावट
मेरी लिखावट
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Loading...