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8 Aug 2024 · 1 min read

साँझे चूल्हों के नहीं ,

साँझे चूल्हों के नहीं ,
दिखते अब परिवार ।
रिश्तों में अब स्वार्थ की,
खड़ी हुई दीवार ।।

सुशील सरना / 8-8-24

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