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4 Aug 2024 · 1 min read

#आज_की_बात

#आज_की_बात
■ आभास व अनुभव के साथ।
【प्रणय प्रभात】
तमाम पोस्ट्स देख कर पता चला है कि आज “मित्र दिवस” है। मैं स्वाभाविक रूप से किसी भी रिश्ते के लिए एक दिवस के प्रावधान से सहमत नहीं। मेरी मान्यता है कि कोई सम्बन्ध किसी एक दिवस के दिखावे पर निर्भर नहीं करता। हर एक सम्बन्ध जीवन भर के लिए होता है। हर दिन, हर पल के लिए। मित्रता भी एक ऐसा ही सम्बन्ध है।
हालांकि, “मित्र” शब्द को लेकर विगत कुछ वर्षों से मेरे आभास और अनुभव बेहद कटु हैं। इतने कटु, कि इस शब्द पर कोई भरोसा अब शेष नहीं। तथापि, “दिल न चाहे भी तो, साथ संसार में, चलना पड़ता है सबकी खुशी के लिए” वाली भावना के अनुरूप सभी को इस “दिवस विशेष” की बाधाई देता हूँ। वो भी इस अनुरोध के साथ, कि यह पुनीत नाता जिस से बनाएं, उस से निभाएं। वो भी “श्री रामचरित मानस” (किष्किंधा कांड) में उल्लेखित अर्द्धालियों को मानस में रखते हुए।
आज पावन श्रवण माह के पूर्वार्द्ध का समापन भी हो रहा है। कृष्ण पक्ष का समापन “हरियाली अमावस्या” के रूप में हो रहा है। जो हमारी सत्य-सनातनी परम्परा के अनुसार उमंग व उल्लास का एक पर्व है। आप सभी को इस सुखद पर्व की बधाई। कल शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरम्भ होने वाला “सावन का उत्तरार्द्ध” आप सभी के लिए मोदमयी व मंगलकारी हो, यह हार्दिक मंगलकामनाएं।
इति शुभाय, इति शिवाय।।
●सम्पादक●
न्यूज़&वयूज़
श्योपुर (मप्र)

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