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15 Feb 2025 · 1 min read

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा
न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आएगा
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ
अगर वो आया तो किस रास्ते से आएगा
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम्हारे बा’द ये मौसम बहुत सताएगा ।।
~बशीर बद्र /जन्मदिन विशेष :

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