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21 Dec 2024 · 1 min read

सत्य बदलकर झूठ में, लगा रहे हैं आग।

सत्य बदलकर झूठ में, लगा रहे हैं आग।
झुलसें कलियाँ फूल औ, झुलस रहे हैं बाग।।

✍️अरविन्द त्रिवेदी

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