Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2024 · 1 min read

गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?

गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?
बनों कुछ ऐसे कि;
जिंदगी भी तुम्हारी मिसाल करें।

1 Like · 147 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from manjula chauhan
View all

You may also like these posts

विचार
विचार
Godambari Negi
प्यारी लगती है मुझे तेरी दी हुई हर निशानी,
प्यारी लगती है मुझे तेरी दी हुई हर निशानी,
Jyoti Roshni
" परिभाषा "
Dr. Kishan tandon kranti
दरख्त
दरख्त
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
सात
सात
Varun Singh Gautam
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
कवि रमेशराज
गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?
गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?
manjula chauhan
जीवन उत्साह
जीवन उत्साह
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
Dr fauzia Naseem shad
खुशी या ग़म हो नहीं जो तुम संग।
खुशी या ग़म हो नहीं जो तुम संग।
Devkinandan Saini
क्या मालूम तुझे मेरे हिस्से में तेरा ही प्यार है,
क्या मालूम तुझे मेरे हिस्से में तेरा ही प्यार है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पुरानी किताब
पुरानी किताब
Mansi Kadam
एहसान फ़रामोश
एहसान फ़रामोश
Dr. Rajeev Jain
ग़ज़ल _ तुम फ़ासले बढ़ाकर किसको दिखा रहे हो ।
ग़ज़ल _ तुम फ़ासले बढ़ाकर किसको दिखा रहे हो ।
Neelofar Khan
इलाज हूँ
इलाज हूँ
reemadew5959
ग़ज़ल
ग़ज़ल
अवध किशोर 'अवधू'
उलझनें रूकती नहीं,
उलझनें रूकती नहीं,
Sunil Maheshwari
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ ...
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ ...
sushil sarna
सिर्फ़ तुम्हें सुनाना चाहता हूँ
सिर्फ़ तुम्हें सुनाना चाहता हूँ
Shreedhar
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
Phool gufran
बाबासाहेब 'अंबेडकर '
बाबासाहेब 'अंबेडकर '
Buddha Prakash
गुरु चरणों की धूल
गुरु चरणों की धूल
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सच्चा मीत
सच्चा मीत
इंजी. संजय श्रीवास्तव
शिवशक्ति
शिवशक्ति
Sudhir srivastava
आज के समाज का यह दस्तूर है,
आज के समाज का यह दस्तूर है,
Ajit Kumar "Karn"
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अपनापन
अपनापन
Santosh kumar Miri
जिंदगी
जिंदगी
Bodhisatva kastooriya
सिन्दूरी रंग की छटा जब छाती, पर्वत श्रृंगी पर फागुन है आती,
सिन्दूरी रंग की छटा जब छाती, पर्वत श्रृंगी पर फागुन है आती,
Manisha Manjari
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
Loading...