इलाज हूँ
तुम्हारे लिए मैं एक खिला हुआ गुलाब हूँ
तुम्हारे सवालों का मैं ही हसीं जवाब हूँ।
न हूँ मैं कोई प्रेम ग्रंथ न हूँ कोई कुरान,
जो तुम बैठो पढ़ने तो खुली किताब हूँ।
पन्ने बिखरे हुए हैं तुम्हारी ज़िंदगी में अनेक,
मैं तुम्हारे हर इक बिखरे पन्ने का हिसाब हूँ।
न जाने कितने ज़ख्म दिए जमाने ने तुम्हें,
मैं तुम्हारे हर ज़ख्म को छुपाती जैसे लिबास हूँ
क्या हुआ ग़र गम बहुत है तुम्हारी ज़िंदगी में,
मैं हर ग़म की दवा हर मर्ज का इलाज हूँ।
-रीमा