लड़की किसी को काबिल बना गई तो किसी को कालिख लगा गई।
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
नारी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
जब प्रेम की अनुभूति होने लगे तब आप समझ जाना की आप सफलता के त
*आए ईसा जगत में, दिया प्रेम-संदेश (कुंडलिया)*
इन्साफ की पुकार
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
नारी री पीड़
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
प्यार का नाम मेरे दिल से मिटाया तूने।
मेरी पसंद तो बस पसंद बनके रह गई उनकी पसंद के आगे,
ग़ज़ल के क्षेत्र में ये कैसा इन्क़लाब आ रहा है?