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16 Jul 2024 · 1 min read

नज़्म _ तन्हा कश्ती , तन्हा ये समन्दर है ,

एक नज़्म 🌹🥰
🤔 22 22 22 22 22 ,,,
🌺💖🌺💖🌺💖🌺💖🌺💖
तन्हा कश्ती , तन्हा ये समन्दर है ,
तन्हा शम्स है, तन्हा ही मुक़द्दर है ।

साथ भी कैसे , हो किसी का अब ,
तन्हा मेरा ये रब , ही मुनव्वर है ।

लाखों कोशिशें भी करो, नहीं कोई ,
आँख ढूंढती है जिसे वो, नहीं कोई ।

क़लम चले ही नहीं ,लिखे क्या कोई ,
तक़दीर लिखे जो वही तो मुसव्विर है ।

जब कोई तारा , दूर टूटता है ,
मानिन्द शरारों के , जो छूटता है ।

गिर कर नज़र से दहर फूटता है ,,,
बस यहीं कहीं देखो मुतकब्बिर है ।

सामने वो है , मेरी जो नहीं सुनता ,
मरहले हजारों हैं , वो नहीं चुनता ।

आवाज़ न दो ,वो ‘नील’, नहीं रुकता ,
है जो समीं , बस वही तो , मुबश्शिर है ।

✍ नील रूहानी,,,, 16/07/2024

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