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23 Jul 2024 · 1 min read

“यादें” ग़ज़ल

दिल मेँ यादों का मालो-ज़र रखिये,
कुछ तो पीने को ये ज़हर रखिये।

फिर से वादा है उसका मिलने का,
आज फिर क्यूँ न दीदे-तर रखिये।

तीरगी, रास आ गई मुझको,
किस लिए चर्चा-ए-क़मर रखिये।

हम तबस्सुम को ओढ़ बैठे हैं,
बिस्तरे-ग़म पे अपना सर रखिये।

आँधियों का न कोई ख़ौफ़ रहे,
चराग़े-दिल को, मनव्वर रखिये।

उसकी कुछ बात ही निराली है,
ख़याल उसका, हर पहर रखिये।

यूं न जाएगी तेरी तिश्ना-लबी,
भले आँखों मेँ समन्दर रखिये।

रफ़्ता-रफ़्ता ही रँग लाती है,
हिना है, कुछ तो अब सबर रखिये।

देखकर इन्तेहा ही, जाएंगे,
अब न इसमें कोई क़सर रखिये।

हाले-“आशा” ये, इक ने कर डाला,
किसको अब, ज़ेरे-तसव्वर रखिये..!

मालो-ज़र # धन सम्पदा, valuables
तीरगी # अँधेरा, darkness
चर्चा-ए-क़मर # चाँद की चर्चा,
discussion on moon
तबस्सुम # मुस्कान, smile
मनव्वर # उद्दीप्त, प्रकाशित, illuminated, enlightened etc.
तिश्ना लबी # होठों की प्यास, thirst of lips.
हिना # मेँहदी, mehandi
इन्तेहा # पराकाष्ठा, the ultimate, climax etc.
ज़ेरे-तसव्वर # ख़याल मेँ, in thoughts

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 108 Views
Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
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