Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2023 · 1 min read

सभी जीव-जन्तुओं का आश्रय स्थल :- जंगल

सभी तरह के जीवों का आश्रय स्थल :- जंगल
भूतिया कैसे हो सकता है,
एक food-chain system जिसे कहते है, इकोसिस्टम,
वहां पर रहने वाले आदिवासी समुदाय प्रकृति के पुजारी है, वे भले ही सभ्य लोगों की सभ्यता संस्कृति से दूर हैं,
मगर वे उस तरह की मानसिक पीड़ाओं से ग्रस्त नहीं है, जो दमन के कारण, सभ्य समाज में आम तौर पर देखी जा सकती है ।
प्रकृति निसर्ग के जीवंत उदाहरण हैं.
.
हां !
जो लोग !
सामाजिक परिवेश से वहां,
पूरी सुरक्षा और खौफ के साये में वहां घूमने जाता है ।
उनके लिए अवश्य जंगल भूतिया है ।
पुख्ता जानकारी
फिर कभी

Language: Hindi
126 Views
Books from Mahender Singh
View all

You may also like these posts

स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक 'सुरसरि गंगे
स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक 'सुरसरि गंगे
Ravi Prakash
दोहा
दोहा
sushil sarna
मैंने कभी कुछ नहीं मांगा तुमसे
मैंने कभी कुछ नहीं मांगा तुमसे
Jyoti Roshni
शांति से खाओ और खिलाओ
शांति से खाओ और खिलाओ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*गैरों सी! रह गई है यादें*
*गैरों सी! रह गई है यादें*
Harminder Kaur
- तेरे बिना भी क्या जीना -
- तेरे बिना भी क्या जीना -
bharat gehlot
परेशान सब है,
परेशान सब है,
Kajal Singh
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?
Pratibha Pandey
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
जो भगवान श्रीकृष्ण अपने उपदेश में
जो भगवान श्रीकृष्ण अपने उपदेश में "धर्मसंस्थापनार्थाय संभवाम
गुमनाम 'बाबा'
તે છે સફળતા
તે છે સફળતા
Otteri Selvakumar
सैनिक का खत।
सैनिक का खत।
Abhishek Soni
"जियो जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
sudhir kumar
यह देख मेरा मन तड़प उठा ...
यह देख मेरा मन तड़प उठा ...
Sunil Suman
*छूट_गया_कितना_कुछ_पीछे*
*छूट_गया_कितना_कुछ_पीछे*
शशि कांत श्रीवास्तव
जब से मेरे सपने हुए पराए, दर्द शब्दों में ढलने लगे,
जब से मेरे सपने हुए पराए, दर्द शब्दों में ढलने लगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" जय भारत-जय गणतंत्र ! "
Surya Barman
अजीब सी बेचैनी हो रही थी, पता नही क्यों, शायद जैसा सोचा था व
अजीब सी बेचैनी हो रही थी, पता नही क्यों, शायद जैसा सोचा था व
पूर्वार्थ
*आत्म-विश्वास*
*आत्म-विश्वास*
Vaishaligoel
ग़ज़ल 3
ग़ज़ल 3
Deepesh Dwivedi
आंख हो बंद तो वो अपना है - संदीप ठाकुर
आंख हो बंद तो वो अपना है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
परछाई
परछाई
Dr Archana Gupta
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
आज कल !!
आज कल !!
Niharika Verma
सीना तान जिंदा है
सीना तान जिंदा है
Namita Gupta
कौन नहीं है...?
कौन नहीं है...?
Srishty Bansal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
संकट
संकट
Dr.sima
Loading...