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28 Feb 2024 · 1 min read

जो रहते हैं पर्दा डाले

जो रहते हैं पर्दा डाले
उनसे रहते दूर उजाले

कैसे मिले ख़ुशी की चाबी
ग़म जाते जब नहीं सँभाले

लोग करें हैं धन की पूजा
होते बड़े मगर दिल वाले

अगर ज़रा भी है मानवता
तू दुखियों को गले लगाले

मेहनत पर विश्वास अगर हो
खुल जाते किस्मत के ताले

भले गरीबी में रह लेना
काम मगर मत करना काले

रो लेना ग़म अपने जी भर
पहले ख़ुशियाँ यार मनाले

कभी उजाला कभी अँधेरा
जीवन के हैं रंग निराले

मंज़िल उसको मिले ‘अर्चना’
जो सह लेता पग के छाले

डॉ अर्चना गुप्ता
28.02.2024

Language: Hindi
2 Likes · 2028 Views
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