मेरी चाहत
तुम्हे चाहता हूँ मैं, कितना सुनोगी ।
मैं चाहु प्रभु को तुम, इतना सुनोगी ।।
मेरे दिल मे समायी हो, कैसे सुनोगी ।
जैसे हो सासे तुम, बस ये ही सुनोगी ।।
तुम्हे चाहता हूँ मैं, कितना सुनोगी…
फिर भी मैं कहता हूँ, तू धड़कन है मेरी ।
मैं तेरी खुशी और तू, जरूरत हैं मेरी ।।
तू हो जो परेशा तो मैं, तडफू यहा पर ।
ये कैसा हैं रिश्ता मैं, सोचू यही बस ।।
तुम्हे चाहता हूँ मैं, कितना सुनोगी…
बिना कहे भी मैं, तेरी बाते समझता हूँ ।
तेरी आँखे पढ़ता हूँ, उन्हे मैं समझता हूँ ।।
तू धड़कन है मेरी बस, मेरी बाते समझती है ।
मैं ना बोलू कुछ भी, मेरी आहे समझती है ।।
तुम्हे चाहता हूँ मैं, कितना सुनोगी…