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22 Jul 2024 · 1 min read

गुरु की महिमा

गुरु की महिमा का सार है अपार जहां,
मां शारदे का कथन बयां न कर पाया है।

पारस तो लौह को सुवर्ण ही बनाता है,
गुरु ने तो शिष्य को स्वसरिस बनाया है,
कुमति के कीचड़ में फंसे हुए शिष्य को,
निर्मल सा ज्ञानजल से धोकर सजाया है।

गुरु की महिमा का सार है अपार जहां,
मां शारदे का कथन बयां न कर पाया है,

गुरु से बड़ा नहीं है जग में दाता कोई,
शिष्य के सदृश नहीं याचक दिखाया है,
तीनों लोक में नहीं है ऐसी संपत्ति कोई ,
गुरु के विराट ज्ञान की समता पाया है।

गुरु की महिमा का सार है अपार जहां,
मां शारदे का कथन बयां न कर पाया है।

सारी वसुंधरा को कागज बनाऊं यदि ,
देवतरु कानन को कलम बनाया है,
सारे सागरों को मैने स्याही बनाया पर,
लेखनी ने नहीं महिमा का अंत पाया है।

गुरु की महिमा का सार है अपार जहां,
मां शारदे का कथन बयां न कर पाया है

गुरु की कृपा के बिना ज्ञान मिलता कहां ,
ज्ञान बिना कभी कोई मोक्ष नहीं पाया है,
गुरु से ज्ञान प्राप्त करो पग शीश धर,
गुरु ने ही गोविंद का मारग दिखाया है।

गुरु की महिमा का सार है अपार जहां,
मां शारदे का कथन बयां न कर पाया है।

अनामिका तिवारी “अन्नपूर्णा”✍️✍️✍️

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 77 Views

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