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20 Jul 2024 · 1 min read

*शूल फ़ूलों बिना बिखर जाएँगे*

शूल फ़ूलों बिना बिखर जाएँगे
**************************

पास आकर कहीं खिसक जाएँगे,
शूल फ़ूलों बिना बिखर जाएँगे।

शोर सुनता नहीं कभी कानो में,
आन पतली गली निकल जाएँगे।

रात-दिन देखते,नहीं दिल भरता,
ख्वाब देखें बहुत बिसर जाएँगे।

खूब भीगी पलक अश्क में डूबी,
देख नीले नयन निखर जाएँगे।

रोकते – रोकते रुके पल दो पल,
हाल दिल के यहाँ बिगड़ जाएँगे।

आँख आँसू भरी सदा मनसीरत,
ताप से ही बरफ पिंघल जाएँगे।
**************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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