Here's to everyone who suffers in silence.
"श्री शक्ति साधना साहित्य सम्मान" से रूपेश को नवाज़ा गया'
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
अपनी सरहदें जानते है आसमां और जमीन...!
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
अपनी नजरों से आज़ाद कर मुझे
প্রতিদিন আমরা নতুন কিছু না কিছু শিখি
सच तो तेरा मेरा प्यार हैं।
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
पल पल रंग बदलती है दुनिया
प्रतिशोध
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
मुझे आदिवासी होने पर गर्व है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
करता हूँ, अरदास हे मालिक !
*थोड़ा-थोड़ा दाग लगा है, सब की चुनरी में (हिंदी गजल)
🚩🚩 "पं बृजेश कुमार नायक" का परिचय
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
आँखों में अँधियारा छाया...