Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 Apr 2024 · 1 min read

3218.*पूर्णिका*

3218.*पूर्णिका*
🌷 दूध के धोये नहीं कोई🌷
212 2212 22
दूध के धोये नहीं कोई।
चैन से सोये नहीं कोई ।।
जिंदगी जीते यहाँ दुनिया।
हँस के रोये नहीं कोई।।
खेल तो सब खेलते देखो।
जीत के खोये नहीं कोई।।
प्यार से ही महकती बगियां।
ख्वाब संजोये नहीं कोई ।।
फसलें होती जमीं बंजर ।
बीज भी बोये नहीं कोई ।।
देख ले आलम यहाँ खेदू।
हाथ से धोये नहीं कोई ।।
……✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
01-04-2024सोमवार

Loading...