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27 Sep 2024 · 1 min read

#रचनाकार:- राधेश्याम खटीक

#रचनाकार:- राधेश्याम खटीक
#दिनांक २७/०९/२०२४
#विषय:- ना रो तू नारी
#विद्या गीत

ना रो तूं नारी तेरे आंसुओं की,
ज़माने की’ नजरों में.. कीमत नहीं !
ना रो तूं नारी तेरे आंसुओं की,
ज़माने की’ नजरों में.. कीमत नहीं !

दे दी तूने सौगात संस्कारों की
मानं बढ़ाने की कुब्बत क्यूं नहीं
ना रो तूं नारी तेरे आंसुओं की……

सूख चुका तेरी आंखों का पानी,
मानवता को खबर क्यूं नहीं !
ना रो तूं नारी तेरे आंसुओं की……

कोठी में तेरी भरे कितने मोती
फिर क्यूं छिनीं मज़लूम की रोज़ी
ना रो तूं नारी तेरे आंसुओं की……

बहुत पी लिया ममता का पानी,
प्यास नफरत की क्यूं बुझती नहीं !
ना रो तूं नारी तेरे आंसुओं की……

बहुत कर ली हस्ती मिटाने की
ज़ालिम यह तेरे बस का नहीं !
ना रो तूं नारी तेरे आंसुओं की……

स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक

Language: Hindi
Tag: गीत
76 Views

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