ऋतुराज
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
उसका राज चल रहा है उसके ससुराल पहुंँचते ही
उम्र बढ़ने के साथ हौसले और शौक में यदि वृद्धि यदि न हो तो फि
तुम्हारे इंतिज़ार में ........
भावना लोगों की कई छोटी बातों में बिगड़ जाती है,
उल्फत अय्यार होता है कभी कबार
कुछ खामोश सी हो गई है कलम ...
चांद तारों ने कहकशां लिख दी ,
स्वार्थों सहूलियतों के बांध
ओ बजरंगी हनुमान मेरी सुन लो करुण पुकार रचनाकार :अरविंद भारद्वाज
मेरी कविता, मेरे गीत, मेरी गज़ल बन चले आना,
*सरिता में दिख रही भॅंवर है, फॅंसी हुई ज्यों नैया है (हिंदी