*प्रकटो हे भगवान धरा पर, सज्जन सब तुम्हें बुलाते हैं (राधेश्
ग़ज़ल _ असुरों के आतंक थे ज़्यादा, कृष्णा ने अवतार लिया ,
बड़ी बेतुकी सी ज़िन्दगी हम जिये जा रहे हैं,
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
ज्वलंत संवेदनाओं से सींची धरातल, नवकोपलों को अस्वीकारती है।
इंसान को इंसान ही रहने दो
माँ और बेटी.. दोनों एक ही आबो हवा में सींचे गए पौधे होते हैं
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
हर शख्स नहीं होता है तुम जैसा
विश्वकप-2023
World Cup-2023 Top story (विश्वकप-2023, भारत)
परिवर्तन का मार्ग ही सार्थक होगा, प्रतिशोध में तो ऊर्जा कठोर
ख़ुदा करे ये कयामत के दिन भी बड़े देर से गुजारे जाएं,
कान्हा को समर्पित गीतिका "मोर पखा सर पर सजे"
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )