मेरी बातों को कोई बात लगी है ऐसे
*छल-कपट को बीच में, हर्गिज न लाना चाहिए【हिंदी गजल/गीतिका】*
हम राज़ अपने हर किसी को खोलते नहीं
सोरठौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
जो गूंजती थी हर पल कानों में, आवाजें वो अब आती नहीं,
हर कोई रोशन भी कितना हो सकता है
मेरे श्याम तुमको भी आना पड़ेगा
तिमिर घनेरा बिछा चतुर्दिक्रं,चमात्र इंजोर नहीं है
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
मुश्किलें हमसे हार कर खुद ही
ग़ज़ल _ मुहब्बत से भरे प्याले , लबालब लब पे आये है !