जहर है किसी और का मर रहा कोई और है
अगर कभी तुम्हारे लिए जंग हो जाए,
वास्तविकता से परिचित करा दी गई है
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
खुद से ज़ब भी मिलता हूँ खुली किताब-सा हो जाता हूँ मैं...!!
बस यूं ही..
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
#हे राम तेरे हम अपराधी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
प्रेम नि: शुल्क होते हुए भी
झूठी आशा बँधाने से क्या फायदा
बख़ूबी समझ रहा हूॅं मैं तेरे जज़्बातों को!
ग़ज़ल:- ऑंखों में क़ैद रहना सुनहरा लगा मुझे...