प्रियतम
स्पर्श तुम्हारा प्रियतम
मुझे प्रफुल्लित करता है
मन अलाहदित हो जाता है
ह्रदय कवल खिलता है।
प्रियतम कस कर लो आलिंगन
तन को मेरे जकड़ लो तुम
अधर से मदिरा पिला कर
बरसो की प्यास बुझा दो तुम।
प्रियतम तुम बिन दिवस न भाए
ना ही बीते रैना
अब बस तुम्हारे दर्श को
व्याकुल मेरे नैना ।
प्रियतम केश तुम्हारे
जैसे कारी बदरी
प्रियतम कर दो प्रेम के बारिश
जैसे बरसे कजरी ।