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17 Feb 2024 · 1 min read

गिरगिट सी दुनिया

जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
सीधी सी बात को बातों का खजाना बना दिया
थी उसकी और मेरी यारी तो सच्ची
लोगों ने मोहब्बत का नजराना बना दिया
मैं ही नहीं था सोच में बराबर जिनकें
मैंने खुद के रास्तों का सफरनामा बना दिया।
लोगों को इतनें रंग बदलते देखकर
मैंनें भी गिरगिट का रंग चढा लिया।
जताया नहीं था हक कभी किसी पर
अब लोगों का मुझ से हक मिटा दिया।
दस्तुर जो दुनिया ने दिया था खुदगर्जी का
मैंने भी दस्तुर दुनिया का अपना लिया।

Language: Hindi
84 Views
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