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26 May 2024 · 2 min read

दिनकर तुम शांत हो

दिनकर तुम शांत हो
आज तेरी बेशर्मी की हद हो गयी
तपन की आंच भी सरहद हो गयी
सुहाना समझते थे हम तुमे रावण बन
मर्यादा तोडी मंद हो गयी
हे दिनकर ! तेरा तप भारी है,
हम दुनियों पर यह तप महामारी है।l
सामन्त बना अपनी ही किरणों को पाबन्द कर
अपने ही चरणों को
लम्बी दूरी तय करनी, है मुझे प्रकोप से
हम भूलेंगे तेरी ही पवनो को
हे दिनकर ! तेरा तप भारी है,
हम दुनियों पर यह तप महामारी है।l
लोक विहाज का तनिक भी ज्ञान नही
मर्यादा तोडी तुने क्या हमारा भी स्वाभिमान नही
तनिक रुक कुछ घड़ी मानव है.

तेरे प्रकोप से बचने बचाने का है अभिमान अभी’
हे दिनकर ! तेरा तप भारी है,
हम दुनियों पर यह तप महामारी है।
माना तेरी मर्यादा ने समय की पाबन्दी में
लोक लिहाज को तोड़ा नहीं मन की मन्दी में
मानव मन भी तेरी तरह हम अपना रुतबा भूले नही
अपनो का अपनत्व ले इस मन को जोड़ा आधुनिकतव की किलेबन्दी में
हे दिनकर ! तेरा तप भारी है,
हम दुनियों पर यह तप महामारी है।
माना तेरी मर्यादा है समय की पाबन्दी में
लोक लिहाज को तोड़ा नहीं मन की मन्दी में
मानव मन भी तेरी तरह हम अपना रुतबा भूले नही
अपनो का अपनत्व ले इस मन को जोड़ा आधुनिकतव की किलेबंदी मे
हे दिनकर ! तेरा तप भारी है,
हम दुनियों पर यह तप महामारी है।
अब सोच तू क्यो तेरे प्रकोप से लोहा लिया
समझाया था तूझे आराधना कर तेरी फिर भी तूने हमेन
नजर अन्दाज कर कुछ पल इस दिमाग से क्यों लोहा लिया
हे दिनकर ! तेरा तप भारी है,
हम दुनियों पर यह तप महामारी है।
अरे । जरूरत मानते है तुझे इस संसार की
तेरे बिन यह जिन्दगी हमारी लाचार थी
तेरे इसी प्रताप से हमने तुझे
इस संसार का रखवाला समझ
हर मन में तेरा ही विचार था
हे दिनकर ! तेरा तप भारी है,
हम दुनियों पर यह तप महामारी है।
अरे आप अपनी नीजि दुश्मनी से हमें क्यो मारते हो ।
निष्पाप हैं हम चन्द मतलबीयाँ दुनिया से हमें क्यों भापते हो।
हम अपने सच्चे मन से उनकी गलती की माफी यूं मांगते है।
हे दिनकर ! तेरा तप भारी है,
हम दुनियों पर यह तप महामारी है

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