Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2023 · 3 min read

साल को बीतता देखना।

साल को बीतता देखना ।
_____________________

मैं हर साल की बात कर रहा हूँ; जिसमें आपने क्या अर्ज किया और क्या-क्या गवाया। बेहद ही सुखद कह सकते हैं इसे क्योंकि किसी रिसर्च की मानें तो लाखों लोग दुनिया में अगली सुबह नहीं देख पाते। साल खत्म तो दिसंबर में होता है।

कुछ मारे जाते हैं किसी युद्ध और भीषण अकाल में कुछेक टेंशन में, कुछ ग्लानि में या कहें किसी वज़ह से कई आत्महत्याएं करके मौत को गले लगा लेते हैं और नहीं देख पाते वो सुबेरे का धूप। अकाल मृत्यु भी कइयों की हो जाती है; एक्सीडेंट, प्राकृतिक आपदाएं और हार्ट अटैक औऱ कई गंभीर बीमारियां कई लोगो को रात ही रात सुलाने का काम करती है।

हमें शुक्र करना चाहिए उस ईश्वर का जिसने हमें आज का दिन तो दिया! जीने को सीखने को; कमाने को और जीते जी जाग जाने को। ये ठीक उसी तरह है जिस तरह कई लोग जन्मदिन आने पर कहते हैं कि मेरा एक साल कम हो गया; लिहाज़न साल कम नहीं होता बल्कि ईश्वर की अंकम्पा से और पिछले जन्मों के सुकर्मों से ज़िंदगी का नया साल मिल रहा होता है। हालांकि इसमें भी अनेक लोगो के अनेक पक्ष हो सकते हैं।

अब बात आती है किसी साल का जाते हुवे देखना- जाना तो सबको ही है इसमें साल कौनसी बड़ी बात है। समय जाता है, समय के साथ कई साथी और तमाम रिश्ते भी तो जाते ही हैं। हमें सकारात्मकता का रस्ता चुनना चाहिये, हालांकि ये भी हर किसी के बस की बात नहीं है और फिर होगी भी कैसे- चारों तरफ नकारात्मकता जो है।

ऐसे में कवि/लेखक लोग कविताएं रचते हैं; बड़े सम्पादक बड़े-बड़े लेख लिखते हैं, एस्ट्रोलॉजर भी तमाम सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का गठजोड़ करके राशियों का लेखजोखा बना रखते हैं। पाठक नया पढ़ने का इरादा करते हैं, बेरोजगारों को हर साल सरकारी नौकरी की तलब रहती है और वे कोशिश हर साल की तरह करते हैं; जो कि करना भी चाहिए; कुछ फॉलोवर्स बढ़ाने और चैनल सस्क्राइब का एजेंडा सेट करते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है समय के साथ टेक्नोलॉजी से जुड़ना कितना महत्वपूर्ण है; मोदी जी इस बात को काफी समय पहले भांप गए थे।

बरहाल ज़िंदगी के जद्दोजहद में हर कोई लगा है; जो है जिसके पास वो उसमें खुश नहीं है क्योंकि ये स्लोगन उनके दिलोदिमाग में बिठाया गया कि आगे बढ़ना ही जीवन है; और एक दिन ये जीवन घर की EMI, कार का लोन, कुछ कर्जा उतारने में ही कब खत्म हो जाता है ये उसे भी नहीं मालूम।

हम सब भाग रहे होते हैं एक दिन ठहर जाने के लिए। जीवन की महत्वकांक्षा को जब समझना होता है तब हमारे पास समय नहीं होता और अंततः एक दिन समय तो होता है लेकिन उस दिन ज़िंदगी नहीं रहती; समय नितांत चलता रहता है- उसके बाद की पीढियां भी यही करती है और दुनियां यूँही चलती रहती है। किसी का होना न होना दुनियां के लिए मायने नहीं रखती क्योंकि सभी जानते हैं दुनिया में मनुष्य जीवन यही है; अगला जन्म नहीं मालूम उसे किस रूप में मिलेगा। इसलिए आनन्द रहिये; मौज कीजिये !

इति श्री।

✒️Brijpal Singh
Dehradun, Uttarakhand
Mo- 8077643871

Language: Hindi
1 Like · 244 Views

You may also like these posts

दोहा मुक्तक
दोहा मुक्तक
sushil sarna
" नयन अभिराम आये हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
- स्नेह का बंधन -
- स्नेह का बंधन -
bharat gehlot
सुना हूं किसी के दबाव ने तेरे स्वभाव को बदल दिया
सुना हूं किसी के दबाव ने तेरे स्वभाव को बदल दिया
Keshav kishor Kumar
जब पीड़ा से मन फटता है
जब पीड़ा से मन फटता है
पूर्वार्थ
गुज़रा हुआ वक्त
गुज़रा हुआ वक्त
Surinder blackpen
क्या करे जनाब वक़्त ही नहीं मिला
क्या करे जनाब वक़्त ही नहीं मिला
MEENU SHARMA
"" मामेकं शरणं व्रज ""
सुनीलानंद महंत
......,,,,
......,,,,
शेखर सिंह
नियोजित अभिवृद्धि
नियोजित अभिवृद्धि
Khajan Singh Nain
कभी इश्क ना करना
कभी इश्क ना करना
डॉ. एकान्त नेगी
चुनाव
चुनाव
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
माई कहाँ बा
माई कहाँ बा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"ये वक्त भी"
Dr. Kishan tandon kranti
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
विश्वास🙏
विश्वास🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अतीत
अतीत
"एकांत "उमेश*
विष का कलश लिये धन्वन्तरि
विष का कलश लिये धन्वन्तरि
कवि रमेशराज
संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा
संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा
Buddha Prakash
3087.*पूर्णिका*
3087.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सहायता-प्राप्त माध्यमिक विद्यालय में प्रबंधक की भूमिका का निर्वहन*
सहायता-प्राप्त माध्यमिक विद्यालय में प्रबंधक की भूमिका का निर्वहन*
Ravi Prakash
हुनरमंद लोग तिरस्कृत क्यों
हुनरमंद लोग तिरस्कृत क्यों
Mahender Singh
यह तो हम है जो कि, तारीफ तुम्हारी करते हैं
यह तो हम है जो कि, तारीफ तुम्हारी करते हैं
gurudeenverma198
15--🌸जानेवाले 🌸
15--🌸जानेवाले 🌸
Mahima shukla
मैं पतंग, तु डोर मेरे जीवन की
मैं पतंग, तु डोर मेरे जीवन की
Swami Ganganiya
एक मुस्कान के साथ फूल ले आते हो तुम,
एक मुस्कान के साथ फूल ले आते हो तुम,
Kanchan Alok Malu
हास्य गीत
हास्य गीत
*प्रणय*
शीर्षक: लाल बहादुर शास्त्री
शीर्षक: लाल बहादुर शास्त्री
Harminder Kaur
*इक क़ता*,,
*इक क़ता*,,
Neelofar Khan
आराधना
आराधना
Kanchan Khanna
Loading...