घरेलू आपसी कलह आज बढ़ने लगे हैं...
मज्मा' दोस्तों का मेरे खिलाफ़ हो गया,
सरकारी नौकरी लगने की चाहत ने हमे ऐसा घेरा है
आह
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
महफ़िल में कुछ जियादा मुस्कुरा रहा था वो।
*निर्धनता में जी लेना पर, अपने चरित्र को मत खोना (राधेश्यामी
बरसने दो बादलों को ... ज़रूरत है ज़मीं वालों को ,
मृत्यु शैय्या
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
गीत (विदाई के समय बेटी की मन: स्थिति)
इश्क़ में वक्त को बुरा कह देना बिल्कुल ठीक नहीं,