सुन मुसाफिर..., तु क्यू उदास बैठा है ।
सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री
एक सफल प्रेम का दृश्य मैं बुन रहा।
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
शीर्षक- तुम बनाओ अपनी बस्ती, हमसे दूर
भीड़ ने की एक निर्मम हत्या मावलीचिंग
■ बात सब पर लागू। नेताओं पर भी।।
इतने बीमार हम नहीं होते ,
अक्सर तुट जाती हैं खामोशी ...
"बेखबर हम, नादान तुम " अध्याय -2 "दुःख सच, सुख मात्र एक आधार है |"
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह