मज्मा’ दोस्तों का मेरे खिलाफ़ हो गया,

मज्मा’ दोस्तों का मेरे खिलाफ़ हो गया,
करीब था जो वहीं सर-ए-बाज़ार हो गया।
जान गई थी राज़ उनके दिल के,
इस दरमिया दूरियों में इज़ाफ़ा हो गया।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”