जीवन है रंगमंच कलाकार हम सभी
- संकल्पो की सौरभ बनी रहे -
बलिदानियों की ज्योति पर जाकर चढ़ाऊँ फूल मैं।
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
क्या इंतज़ार रहता है तुझे मेरा
जेब खाली हो गई तो सारे रिश्ते नातों ने मुंह मोड़ लिया।
आके चाहे चले जाते, पर आ जाते बरसात में।
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।
सब डरें इंसाफ से अब, कौन सच्चाई कहेगा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
उनकी नज़रों में अपना भी कोई ठिकाना है,
*छिपी रहती सरल चेहरों के, पीछे होशियारी है (हिंदी गजल)*
*मां तुम्हारे चरणों में जन्नत है*
उजड़ें हुए चमन की पहचान हो गये हम ,
रविवार की छुट्टी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)