ग़ज़ल-अपनी ही एक ख़ुमारी है !
सबने देखा है , मेरे हँसते हुए चेहरे को ,
जनहित में अगर उसका, कुछ काम नहीं होता।
प्रेम की मर्यादा
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
शौक को अजीम ए सफर रखिए, बेखबर बनकर सब खबर रखिए; चाहे नजर हो
हो सके तो तुम स्वयं को गीत का अभिप्राय करना।
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*रंगीला रे रंगीला (Song)*
"मेरी बस इतनी सी अभिलाषा है"
चलो जिंदगी की नई शुरुआत करते हैं
मेरे इजहार पर कुछ इस तरह 'हां' कहा उसने,