Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2024 · 1 min read

कभी कभी जिंदगी

कभी कभी जिंदगी
ऐसे रास्तों में
खो जाती है
जहाँ खुद को
निकाल पाना
मुश्किल हो जाता है

95 Views
Books from Mamta Rani
View all

You may also like these posts

"दुखती रग.." हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मैं पुलिंदा हूं इंसानियत का
मैं पुलिंदा हूं इंसानियत का
प्रेमदास वसु सुरेखा
Genuine friends lift you up, bring out the best in you, and
Genuine friends lift you up, bring out the best in you, and
पूर्वार्थ
तूॅं कविता चोर हो जाओ
तूॅं कविता चोर हो जाओ
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
ऊँचाई .....
ऊँचाई .....
sushil sarna
रेत मुट्ठी से फिसलता क्यूं है
रेत मुट्ठी से फिसलता क्यूं है
Shweta Soni
दिल में जो है वो बताया तो करो,
दिल में जो है वो बताया तो करो,
Jyoti Roshni
कुंडलियां
कुंडलियां
Rambali Mishra
वाटिका विध्वंस
वाटिका विध्वंस
Jalaj Dwivedi
..
..
*प्रणय*
शीर्षक - हैं और था
शीर्षक - हैं और था
Neeraj Agarwal
ऐ .. ऐ .. ऐ कविता
ऐ .. ऐ .. ऐ कविता
नेताम आर सी
3121.*पूर्णिका*
3121.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
Rekha khichi
तेरे शहर में
तेरे शहर में
Shyam Sundar Subramanian
माँ शारदे
माँ शारदे
Sudhir srivastava
राहगीर
राहगीर
RAMESH Kumar
कुछ अश्आर...
कुछ अश्आर...
पंकज परिंदा
इसलिए भी मेरे ख़ूँ में वतन-परस्ती आई है
इसलिए भी मेरे ख़ूँ में वतन-परस्ती आई है
Trishika S Dhara
राम गुण जानी के,
राम गुण जानी के,
Mr. Jha
एक ही नारा एक ही काम,
एक ही नारा एक ही काम,
शेखर सिंह
दीपावली (10 दोहे)
दीपावली (10 दोहे)
Ravi Prakash
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
Piyush Goel
चिंपू गधे की समझदारी - कहानी
चिंपू गधे की समझदारी - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सर्द ऋतु का हो रहा है आगमन।
सर्द ऋतु का हो रहा है आगमन।
surenderpal vaidya
आइए सीखें व्यंजन वर्ण
आइए सीखें व्यंजन वर्ण
Jyoti Pathak
वक्त ही कमबख्त है।
वक्त ही कमबख्त है।
Rj Anand Prajapati
"हालात"
Dr. Kishan tandon kranti
छठी पर्व
छठी पर्व
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
राह तके ये नैन
राह तके ये नैन
सुशील भारती
Loading...