Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jun 2024 · 2 min read

पश्चाताप

राज अपने पिता की इकलौती संतान होने के कारण मिल रहे लाड़ प्यार से बहुत जिद्दी हो गया था।
एक दिन उसने अपने पिता सिद्धार्थ से कहा – पापा अब आप भी कार ले लीजिए। हमारे सभी मित्रों के घर में कार आ चुकी है
सिद्धार्थ ने उसे समझाते कहा बेटा! मेरा वेतन इतना नहीं है कि हम कार का खर्च उठा सकें।
लेकिन राज यह बात समझने को तैयार नहीं था और घर छोड़ने की धमकी देने लगा।
सविता ने सिद्धार्थ को समझाया कि देखो -अब राज की जिद के आगे मत झुको। ऐसा न हो कि हमें पछताना पड़े।
लेकिन सिद्धार्थ ने पत्नी सविता की बात को नजरंदाज कर बैंक से कर्ज लेकर कार खरीद ही लिया।
इधर राज कार आने के बाद चलाना सीखने के लिए लालायित हो उठा। वह सुबह जबरदस्ती अपने पापा को लेकर जाता और खुद चलाने की जिद करता। धीरे धीरे वह सीख भी रहा था। क्योंकि उसके अंदर जुनून था।
आफिस जाते समय सिद्धार्थ कार की चाभी हमेशा अपनी आलमारी में बंद करके जाते थे। लेकिन एक दिन सुबह उनके आफिस से तुरंत आफिस पहुंचने का फोन आ गया। आनन फानन में नाश्ता कर वे चले गए और चाभी अलमारी में रखना भूल गए। राजू ने चाभी देखा तो चुपके से छुपा लिया।
राज की मम्मी सविता रसोई में खाना बना रही थीं। इधर राज कार लेकर निकल गया। अभी वह अपने घर की गली भी नहीं पार कर पाया था कि एक बच्चा अचानक सामने आ गया। राज के हाथ पाँव फूल गए और कार एक खंभे से जा टकराई। कार को क्षतिग्रस्त होना ही था, राजू को भी गंभीर चोट आयी।
मोहल्ले के लोगों ने उसके घर सूचना भेजकर उसे अस्पताल पहुंचाया और सिद्धार्थ को भी फोन कर दिया।
सिद्धार्थ भागा भागा अस्पताल पहुंचा। राज की हालत देख उसे अपनी भूल का पश्चाताप होने लगा।
सविता भी गुस्से में उसे कोसने लगी। कि तुम्हारे लाड़ प्यार ने उसे जिद्दी बना दिया है।अब पानी सिर से ऊपर आ गया तब पश्चाताप हो रहा है। मैं जब भी कुछ कहती तो तुम्हें बड़ा खराब लगता था। अब भोगो तुम भी और तुम्हारा लाड़ला भी। मैं तो दुश्मन हूँ न तुम दोनों की। मेरी तो कोई सुनने की ही तैयार नहीं।
सिद्धार्थ पश्चाताप के आंसू लिए सिर झुकाए सविता की बातें सुनता रहा, इसके सिवा और कोई रास्ता भी तो नहीं था।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 75 Views

You may also like these posts

एक ज़माना ...
एक ज़माना ...
Nitesh Shah
नियति
नियति
Shyam Sundar Subramanian
बेरंग
बेरंग
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
*बचपन की बातें छूट गईं, फिर राधा से प्रभु कहॉं मिले (राधेश्य
*बचपन की बातें छूट गईं, फिर राधा से प्रभु कहॉं मिले (राधेश्य
Ravi Prakash
सत्य वह है जो रचित है
सत्य वह है जो रचित है
रुचि शर्मा
सयाना
सयाना
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जीवन पथ
जीवन पथ
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
दस्तूर जमाने का निभाया भी नहीं था
दस्तूर जमाने का निभाया भी नहीं था
अरशद रसूल बदायूंनी
*कुछ भी नया नहीं*
*कुछ भी नया नहीं*
Acharya Shilak Ram
आओ दीप जलायें
आओ दीप जलायें
डॉ. शिव लहरी
शीर्षक – फूलों सा महकना
शीर्षक – फूलों सा महकना
Sonam Puneet Dubey
"यहाँ चंद लोगों के लिए लिख रहा हूँ मैं ll
पूर्वार्थ
गरीबी हटाओं बनाम गरीबी घटाओं
गरीबी हटाओं बनाम गरीबी घटाओं
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
जिन्हें
जिन्हें "हिंसा" बचपन से "घुट्टी" में मिला कर पिलाई जाएगी, वे
*प्रणय*
मातृदिवस
मातृदिवस
Satish Srijan
तेरे हम है
तेरे हम है
Dinesh Kumar Gangwar
" पहरा"
Dr. Kishan tandon kranti
इंतजार की घड़ियां
इंतजार की घड़ियां
C S Santoshi
सबसे बड़ी शिक्षक
सबसे बड़ी शिक्षक
Surinder blackpen
3118.*पूर्णिका*
3118.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*
*"बापू जी"*
Shashi kala vyas
अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस
अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस
Bodhisatva kastooriya
की मैन की नहीं सुनी
की मैन की नहीं सुनी
Dhirendra Singh
వీరుల స్వాత్యంత్ర అమృత మహోత్సవం
వీరుల స్వాత్యంత్ర అమృత మహోత్సవం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
# विचार
# विचार
DrLakshman Jha Parimal
निशब्द
निशब्द
Nitin Kulkarni
"आगाज"
ओसमणी साहू 'ओश'
- तुझमें रब दिखता है -
- तुझमें रब दिखता है -
bharat gehlot
डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
Annapurna gupta
सच्ची मोहब्बत नहीं अब जमीं पर
सच्ची मोहब्बत नहीं अब जमीं पर
gurudeenverma198
Loading...