Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2024 · 1 min read

बदलाव की ओर

गर्मी में हवा इतनी गर्म है जैसे तंदूर से निकल रही है,
इंसान की बेशर्म नीयत जंगलों को निगल रही है ।।

जंगलों को काटकर घर बनाए जा रहे हैं,
गमलों में पौधे लगाकर घरों में जंगल बनाए जा रहे हैं ।।

जंगल का कानून अब घर समाज में पसर रहा है,
जो ताकतवर है कमजोर का शिकार कर रहा है ।।

जंगलों की जमीन छीनकर, अपने नाम की जा रही है,
चिड़ियाघर में कैद कर जानवरों पर हमदर्दी दिखाई जा रही है ।।

इंसानियत को खत्म कर इंसान ही खूँखार जानवर हो गया है,
जंगलो में शेर को विलुप्त कर, इंसान ही शेर हो गया है ।।

prAstya…… (प्रशांत सोलंकी)

Language: Hindi
1 Like · 170 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all

You may also like these posts

चुनावी परिणाम कुछ भी हो किसी ना किसी को सत्ता मिलनी हैं। जीत
चुनावी परिणाम कुछ भी हो किसी ना किसी को सत्ता मिलनी हैं। जीत
ललकार भारद्वाज
समय किसी भी तख़्त का,हुआ नहीं मुहताज
समय किसी भी तख़्त का,हुआ नहीं मुहताज
RAMESH SHARMA
अब थोड़ा हिसाब चेंज है,अब इमोशनल साइड  वाला कोई हिसाब नही है
अब थोड़ा हिसाब चेंज है,अब इमोशनल साइड वाला कोई हिसाब नही है
पूर्वार्थ
माहिए
माहिए
आशा शैली
"मंज़र बर्बादी का"
ओसमणी साहू 'ओश'
*शत-शत नमन प्रोफेसर ओमराज*
*शत-शत नमन प्रोफेसर ओमराज*
Ravi Prakash
पूर्वोत्तर का दर्द ( कहानी संग्रह) समीक्षा
पूर्वोत्तर का दर्द ( कहानी संग्रह) समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मान हो
मान हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
" ऐतबार "
Dr. Kishan tandon kranti
बड़े बुजुर्गो की सेवा करने से जो शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता ह
बड़े बुजुर्गो की सेवा करने से जो शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता ह
Shashi kala vyas
3324.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3324.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
लोग शोर करते रहे और मैं निस्तब्ध बस सांस लेता रहा,
लोग शोर करते रहे और मैं निस्तब्ध बस सांस लेता रहा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रोला छंद
रोला छंद
sushil sarna
मानवता
मानवता
Shyam Sundar Subramanian
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
व्यवहार वह सीढ़ी है जिससे आप मन में भी उतर सकते हैं और मन से
व्यवहार वह सीढ़ी है जिससे आप मन में भी उतर सकते हैं और मन से
Ranjeet kumar patre
नदी का विलाप
नदी का विलाप
Godambari Negi
मोहल्ला की चीनी
मोहल्ला की चीनी
Suryakant Dwivedi
अपनी कमजोरियों में ही उलझे रहे
अपनी कमजोरियों में ही उलझे रहे
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
Anil Mishra Prahari
मेरी आँखो से...
मेरी आँखो से...
संतोष सोनी 'तोषी'
** शैलपुत्री **
** शैलपुत्री **
surenderpal vaidya
अभी तक
अभी तक
Jitendra kumar
कह मुक़री
कह मुक़री
Dr Archana Gupta
कुछ इस तरह टूटा है
कुछ इस तरह टूटा है
Surinder blackpen
*रंगों का ज्ञान*
*रंगों का ज्ञान*
Dushyant Kumar
सुमन प्रभात का खिला
सुमन प्रभात का खिला
कुमार अविनाश 'केसर'
"चालाक आदमी की दास्तान"
Pushpraj Anant
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
अश्विनी (विप्र)
Loading...