ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
उसे दिल से लगा लूँ ये गवारा हो नहीं सकता
बुरा वक्त
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया
దీపావళి కాంతులు..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जाने क्यों तुमसे मिलकर भी
जब जवानी में युवा और युवतियों को वासना की आग पूरे अंग अंग को
इंतज़ार की रातें, लम्हों में ढूंढ रही हू प्यार,
हैं जो कुछ स्मृतियां वो आपके दिल संग का
ऐसे नहीं की दोस्ती,कुछ कायदा उसका भी था।
जिंदगी तो अब उसे ये पुष्प बेला सी लगी
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )