जब हम गलत मार्ग या भटकते हैं तभी हम खोज के तरफ बढ़ते हैं, नह
इश्क भी बेरोजगारी में होता है साहब,नौकरी लगने के बाद तो रिश्
धुएं के जद में समाया सारा शहर पूछता है,
श्री राम का भ्रातृत्व प्रेम
जल रहे अज्ञान बनकर, कहेें मैं शुभ सीख हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
गांधीजी की नीतियों के विरोधी थे ‘ सुभाष ’
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
न जाने वो कैसे बच्चे होंगे
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
निकल पड़ो कभी ऐसे सफर पर भी
मुस्कुराते हुए सब बता दो।
ये रहस्य, रहस्य ही रहेगा, खुलेगा भी नहीं, जिस दिन (यदि) खुल
मैं वो मिथिला कुमारी हूँ - कोमल अग्रवाल
वो प्यासा इक पनघट देखा..!!
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि