मौत की सैया पर बैठ, आज़ादी को देख रहा,

मौत की सैया पर बैठ, आज़ादी को देख रहा,
जो खींची डोर रेशम की, पंख बिखर जाएंगे,
आंखें नम हैं आज, बंदिशों की डोर देख के,
सोच रहा,खींच दूं या छोड़ दूं,
पर चुप बैठा हूं आज, मौत सामने देख के।
✍️~ SPK Sachin Lodhi
मौत की सैया पर बैठ, आज़ादी को देख रहा,
जो खींची डोर रेशम की, पंख बिखर जाएंगे,
आंखें नम हैं आज, बंदिशों की डोर देख के,
सोच रहा,खींच दूं या छोड़ दूं,
पर चुप बैठा हूं आज, मौत सामने देख के।
✍️~ SPK Sachin Lodhi