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11 Jun 2024 · 1 min read

मन अलग चलता है, मेरे साथ नहीं,

मन अलग चलता है, मेरे साथ नहीं,
ड्राइवर हो गया है, सवारी नहीं,
पेट भर जाता है, मन नहीं,
मालिक हो गया है, किराएदार नहीं,
एक ज़िस्म में दो, दो से ज्यादा हैं एक नहीं,
आईना भर जाता है, जिन्हें मैं पहचानता भी नहीं ।।

prAstya…… (प्रशांत सोलंकी)

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