ग़ज़ल _ महकती जब ये मिट्टी प्यार की नींदें उड़ाती है ,
यहां सभी लोग समय के चक्र में बंधे हुए है, जब सूर्य दिन के अल
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
लोग मेरे साथ बेइंसाफी करते हैं ।।
तेरी मीठी बातों का कायल अकेला मैं ही नहीं,
खिला रोटियाँ तीन जो,कहती एक रमेश
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सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ।
यही सोचकर आँखें मूँद लेता हूँ कि.. कोई थी अपनी जों मुझे अपना
चिरंतन सत्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
ज़माने भर के तमाम नशे करके
जब मैं किसी की इज्जत करता हूं,तो वो मैं प्राकृतिक रूप से करत
"आस्था सकारात्मक ऊर्जा है जो हमारे कर्म को बल प्रदान करती है
सुलभ कांत
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
चोरों की बस्ती में हल्ला है