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15 May 2021 · 1 min read

भय का प्रताप

भय यह अंतहः उपज है,
स्वयं बना यह प्रलय है,
हृदय विदारक कंपन है ,
वृक्ष मूल का नाश है ,
आत्मविश्वास का विनाश है ,
तीव्र गति की चाल है ,
ओले की बौछार है ,
उन्नति का कंटक है ,
आशा की हताशा है ,
गिरावट का ग्राफ है,
दीमक की प्यास है,
आत्मदाह की आगाज है।

#रचनाकार- बुद्ध प्रकाश

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