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23 Nov 2023 · 1 min read

पलकों की दहलीज पर

पलकों की दहलीज पर, रहा जोहता बाट ।
खुले नही पर नैन के, उनके कभी कपाट ।
खोलेंगे इक रोज तो, कभी वे अपनी आंख,
मैने अपनी डाल दी , वहीं आज से खाट।।
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
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