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24 May 2024 · 1 min read

लड़खड़ाते है कदम

लड़खड़ाते हैं कदम तो फिर संभलना सीखिए
वक्त के मानिंद अब खुद को बदलना सीखिए
तुम सहारे ग़ैर के कब तक चलोगे इस तरह
चाहते मंजिल अगर तो खुद भी चलना सीखिए
अगर चाहते तम को मिटाना जिंदगी के बीच से
तो अमावस रात की शम्मा सा जलना सीखिए

शमा परवीन बहराइच उत्तर प्रदेश

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